मनीष पॉल ने प्रवासी श्रमिकों को फुटवेयर देकर की मदद
मनीष पॉल एक बार फिर प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए आगे आए हैं। इस बार उन्होंने बिना फुटवेयर (जूते-चप्पल) के सड़कों पर नंगे पांव चल रहे इन प्रवासी श्रमिकों फुटवेयर्स डोनेट किए। इसस पहले सोनू सूद की मदद से मनीष ने 40 प्रवासियों को उनके घर तक पहुंचाने का काम भी किया।
हाल ही में मनीष पॉल ने 40 ऐसे श्रमिकों की मदद की, जो अपने घर जाना जाना चाहते थे। मनीष ने श्रमिकों रवाना करते हुए उन्हें राशन के साथ कुछ धनराशि भी, ताकि वहां पहुंचने के बाद इनको कोई दिक्कत न आए।
वहीं एक बार फिर मनीष इन प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए आगे आए हैं। रास्तों पर चल रहे मुंबई और दिल्ली के 500 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को फुटवेयर देकर मदद की।
मनीष इससे पहले भी पीएम केयर फंड में 20 लाख की धन राशि डोनेट कर चुके है। इतना ही नही अपने स्टाफ को लॉकडाउन से पहले एडवांस सैलरी देकर छुट्टी दे दी थी।
लॉकडाउन पर बेस्ड एक शॉर्ट फिल्म 'वाट इफ' भी बनाई, जिसे यूट्यूब चैनल पर शेयर किया गया। इस शॉर्ट फिल्म से होने वाली कमाई गई राशि भी कोविड-19 से जूझ रहे लोगों की भलाई के लिए डोनेट की थी।
कोरोना वायरस के संकट के चलते पूरा देश थम सा गया है। मरने वालों के आंकड़े में लगाार इजाफा हो रहा है। वहीं इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई है।
इन दिनों प्रवासी मज़दूरों की हालत सबसे ज्यादा खराब है। सब कुछ बंद होने से रोजगार न मिलने के कारण अपने-अपने घर को निकल पड़े हैं, लेकिन घर पहुंचने के लिए आवागमन के साधन भी शुरू में इतने नहीं खुले थे। फिलहाल कुछ ट्रेन और बस सेवाएं शुरू हुई है, लेकिन तब तक कई हज़ार प्रवासी पैदल ही अपने-अपने शहरों के लिए निकल चुके थे। ऐसे में कई सारी दुर्घटनाएं हो रही हैं।
वहीं एक शहर से दूसरे शहर यह प्रवासी श्रमिक अपने-अपने परिवारों समेत निकले हैं, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुढ़े भी हैं। कई ऐसे हैं, जिनके चप्पल-जूते आधे रास्ते में ही टूट गए। न तो ये श्रमिक आर्थिक रूप से मजबूत हैं कि वो फुटवेयर्स खरीदे और ना ही दूकाने खुली हैं।
ऐसे में जगह जगह पर कुछ लोग इन प्रवासी श्रमिकों को खाने-पीने के सामान के साथ फुटवेयर्स भी दे रहे हैं। इन्हीं में अब मनीष पॉल का नाम भी शामिल हो गया है।
मनीष इस बात का एक अनुकरणीय उदाहरण है कि हमें इन कठिन समय के दौरान एक दूसरे का समर्थन कैसे करना चाहिए और यह समय है जब हम इन कठिनाइयों, दर्द को एक साथ और उम्मीद से दूर कर सकते हैं।
संबंधित ख़बरें
टिप्पणियाँ