विशाल करवाल इमोशनल सीन्स के लिए नहीं करते हैं ग्लिसरीन का इस्तेमाल
विशाल करवाल का कहना है कि किसी भावनात्मक सीन में आंसू लाने के लिए वो ग्लिसरीन का प्रयोग नहीं करते, बल्कि किरदार की गहराई में उतर कर उसकी भावनाओं को समझते हैं और फिर सिचुएशन के हिसाब से आंसू खुद-ब-खुद निकल आते हैं।
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एक अभिनेता को अपने किरदार के मुताबिक कैमरे के सामने कई सारे भावों को दिखाना होता है। इन्हीं भावनाओं में से कुछ ऐसे होते हैं, जहां पर उनकी आंखों से आंसू का निकलना ज़रूरी होता है। ऐसे भावनात्मक सीन्स के लिए कलाकार अक्सर ग्लिसरीन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन विशाल करवाल ने बीते कई सालों से ग्लिसरीन का इस्तेमाल बंद कर दिया है।
इस बारे में विशाल कहते हैं, 'यह निश्चित रूप से कुछ ऐसा नहीं था, जो शुरू से हुआ हो। यह एक क्रमिक प्रक्रिया थी, जिससे मैंने चरित्र की भावनाओं को गहराई से महसूस करना शुरू कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक आंसू थे और बीते कुछ सालों से मैंने ग्लिसरीन का उपयोग करना बंद कर दिया। यह हमेशा स्वाभाविक रहा है। मुझे यकीन है कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए पूरी तरह से चरित्र में शामिल हूं।'
विशाल ने कई धारावाहिक और फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाई हैं। यह पूछे जाने पर कि वह भूमिका के लिए खुद को कैसे तैयार करते हैं, तो इसके जवाब में वो कहते हैं, 'मैं ईमानदारी से भूमिका के लिए तैयारी करता हूं। मैं अपने शॉट से पहले स्क्रिप्ट पढ़ता हूं और समझता हूं कि वास्तव में मुझे क्या करना है और एक बार जब मैं कैमरे के सामने होता हूं, तो सब कुछ अपने आप हो जाता है। अपने शॉट को देने के बाद मैं अपना शॉट मॉनिटर पर नहीं देखता। मुझे यकीन है कि मैंने कितना अच्छा प्रदर्शन किया है और अगर मैं संतुष्ट नहीं हूं, तो मैं एक और शॉट मांगता हूं।'
इन दिनों विशाल 'द्वारकाधीश -भगवान श्री कृष्ण' में 'श्रीकृष्ण' की भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। पौराणिक शो एक कहानी है कि कैसे द्वारका के राजा बनने के बाद, भगवान कृष्ण रक्षक बन जाते हैं और अपने परिवार के सदस्यों और प्रियजनों के साथ संबंध बनाए रखते हैं।
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