अमिताभ बच्चन और जया बच्चन की 'अमिया', 'अभिमान' से है गहरा नाता
अमिताभ बच्चन और जया बच्चन की फिल्म 'अभिमान' को रिलीज़ हुए 47 साल हो गए हैं। 27 जुलाई 1973 में रिलीज़ हुई इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ख़ास कमाल तो नहीं दिखाया, लेकिन बाद के सालों में इस फिल्म ने सभी का दिल जीत लिया। यहां तक कि इसके डिजिटल राइट्स करोड़ो में बिके। ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी यह फिल्म अमिताभ-जया बच्चन की शादी के बाद रिलीज़ हुई पहली फिल्म है। आगे जानिए इस फिल्म से जुड़ीं रोचक जानकारियां।
अमिताभ बच्चन और जया बच्चन की जोड़ी वाली यह फिल्म साल 1973 में रिलीज़ हुई थी। देखा जाए, तो साल 1973 अमिताभ-जया बच्चन की ज़िंदगी में एक ख़ास स्थान रखता है। इसी साल इनकी शादी हुई थी और शादी के बाद रिलीज़ हुई यह पहली फिल्म है। वहीं इसी साल इनकी जोड़ी वाली फिल्म 'जंजीर' सुपरहिट हुई थी।
हालांकि, जया तो तब भी स्थापित नाम थीं, लेकिन अमिताभ बच्चन ने अपने कदम इसी साल हिन्दी सिने जगत में मजबूती से जमाना शुरू किए। फिर तो हाल कुछ ऐसे रहे कि दिनोंदिन 'अमित' की 'आभा' बढ़ती ही गई।
ख़ैर, आज फिल्म 'अभिमान' की चर्चा। यह फिल्म 'अमिया' बैनर तले बनी थी। फिल्म के पोस्टर पर आपको साफ लिखा दिखेगा। अब आप सोच रहें होंगे कि यह कौन-सा प्रोडक्शन हाउस है और किसका है, तो जवाब दिए देते हैं।
क्या है 'अमिया'
अमिताभ के 'अमि' और जया के 'या' से मिलकर बना है 'अमिया'। अब सोचिए ज़रा, बॉलीवुड और हॉलीवुड में पिछले एकाध दशकों से 'ब्रैंजलीना', 'सैफीना', 'दीपवीर' टाइप की जीचें देखने-सुनने को मिल रही हैं, लेकिन अमिताभ और जया बच्चन इस मामले में भी इन सितारों से कोसों आगे रहे हैं। दोनों ने साल 1973 में ही अपने-अपने नाम को मिला कर 'अमिया' बना लिया था। हालांकि, यह नाम अपने प्रोडक्शन हाउस का रखा, जिसके तले बनाया 'अभिमान'।
'अभिमान' की कहानी
ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में कहानी है उमा और सुबीर की। जहां सुबीर संगीत जगत का चमकता सितारा होता है और अपने गांव पहुंचता है। यहां उसकी मुलाकात उमा से होती है। उमा बहुत अच्छा गाती है और सुबीर को उमा के रूप के साथ गायन इतना भाता है कि उसे अपनी जीवनसंगिनी बना लेता है।
शादी करके शहर पहुंचते हैं और सुबीर अपनी नई-नवेली दुल्हन से सबको मिलवाने के लिए घर में आलीशान पार्टी रखता है। इस पार्टी में लोग गाने को कहते हैं, तो वो अपनी पत्नी उमा से भी गाने की दरख्वास्त करता है। होता यह है कि सुबीर-उमा की जुगलबंदी में तारीफें उमा के हिस्से ज्यादा आती हैं। सुबीर असहज महसूस करने लगता है, लेकिन मामला तब गड़बड़ होने लगता है, जब प्रोफेशनल लाइफ में उमा को सुबीर से ज्यादा मौके मिलने लगते हैं और अब उमा को काम के साथ शोहरत भी मिलने लगती है, लेकिन इस बीच सुबीर-उमा के बीच दूरियां बढ़ जाती हैं।
दूरियां बढ़ती हैं, तो फिर झगड़े होने लगते हैं और उमा, सुबीर को छोड़ मायके आ जाती है और वहां उसे पता चलता है कि वो मां बनने वाली है, लेकिन कुछ दिनों के बाद ही उमा का मिसकैरेज हो जाता है। पति से दूर उमा अपने मिसकैरेज से बुरी तरह टूट जाती है और उधर तमाम कोशिशों के बाद सुबीर भी परेशान हाल है। आखिर में वो उमा से मिलने आता है। अपने साथ शहर ले आता है। इन हादसों के बाद उमा ने गाना बंद कर दिया था, लेकिन सुबीर खुद उमा को अपने साथ गाने के लिए राज़ी कर लेता है। अब सुबीर का 'अभिमान' टूट गया है और सच्चे प्रेम को समझ चुका है।
'अभिमान' के अधिकार
अब जैसा कि पहले ही बताया कि अमिताभ-जया की 'अमिया' के बैनर तले 'अभिमान' बनी थी, तो जाहिर तौर पर फिल्म को बनाने में जो पैसे लगे, वो इन्हीं दोने के थे। वहीं अमिताभ बच्चन ने कुछ सालों पहले एक ट्वीट कर जानकारी दी थी कि उनकी फिल्म के बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर काफी गलतफहमी फिल्म की रिलीज के चार दशकों बाद तक बनी हुई है।
दरअसल, मसला यह है कि जब यह फिल्म रिलीज़ हुई, तब यह दोनों अपनी शादी को लेकर काफी व्यस्त थे। लिहाजा, फिल्म का पूरा काम उन दोनों के तत्कालीन सेक्रेट्री ने ही देखा। ऐसे में पेपर वर्क पर ठीक से ध्यान नहीं दिया गया। वहीं फिल्म को लेकर इसलिए भी सबका रवैया ठंडा रहा, क्योंकि इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं किया था। उस साल रिलीज़ हुई फिल्मों में बीसवें नंबर पर यह फिल्म आई थी। हालांकि, बाद में फिल्म के डिजिटल राइट्स और सैटेलाइट राइट्स करोड़ों में बिके।
वहीं इस फिल्म के लिए जया बच्चन को फिल्मफेयर का बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड भी मिला, लेकिन यह पुरस्कार उन्हें फिल्म ‘बॉबी’ के लिए डिंपल कपाड़िया के साथ साझा करना पड़ा।
'राग-रागिनी' से 'अभिमान'
ऋषिकेश मुखर्जी ने जब इस फिल्म की शूटिंग की, तो फिल्म का नाम 'राग-रागिनी' रखा गया, क्योंकि फिल्म की पृष्ठभूमि संगीत था। फिल्म जब आधी बन गई, तो फिल्म का नाम बदल दिया गया। इस फिल्म के लिए अमिताभ बच्चन और जया बच्चन पहली पसंद नहीं थे, क्योकि फिल्म बनाने के बारे में जब ऋषि दा ने सोचा था, तो इन दोनों का जानते भी नहीं थे।
वहीं इस फिल्म की कहानी को लेकर भी कई सारी थ्योरीज़ हैं। ऋषिकेश मुखर्जी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि यह फिल्म उनके करीबी दोस्त की कहानी है। हालांकि, इस कहानी में उन्होंने कुछ बदलाव किए। जैसे उनके दोस्त और उनकी पत्नी की अलगाव की अलग वजहें थीं, लेकिन कहानी में उन्होंने इसे 'इगो' से रिप्लेस कर दिया। साथ ही यह भी बताया था कि इस फिल्म की कहानी साल 1955 में लिखी गई थी।
कुछ कहते हैं कि यह फिल्म मशहूर सितार वादक पंडित रवि शंकर और उनकी पत्नी अन्नपूर्णा देवी की कहानी है। दोनों के अलगाव के बाद वह अन्नपूर्णा देवी से मिलने भी गए थे और कहा ये भी जाता है कि अन्नपूर्णा देवी की अनुमति लेकर ही ऋषिकेश मुखर्जी ने ये फिल्म शुरू की।
इसके अलावा कुछ लोग इस कहानी को किशोर कुमार और उनकी पहली पत्नी रूमा घोष ठाकुरता की कहानी भी बताते हैं।
भारत में भले ही इस फिल्म ने कुछ खास कमाल न किया हो, लेकिन श्रीलंका में यह एक ही सिनेमाघर में 85 सप्ताह तक लगी रही। वहीं इस फिल्म का रीमेक तमिल में भी बन चुका है।
'अभिमान' के संगीत का जादू
फिल्म के कथानक के साथ इसके संगीत ने भी जबरदस्त जादू गढ़ा था। एक बार फिर से एस डी बर्मन का संगीत श्रोताओं के मन-मष्तिस्क पर छा गया था। फिल्म 'अभिमान' के लिए संगीत रचने वाले एस डी बर्मन तब 67 साल के हो चुके थे। साल 1973 में सिर्फ 'अभिमान' ही नहीं ‘अनुराग’ और ‘जुगनू’ सरीखी फिल्मों के लिए शानदार संगीत रचा।
फिल्म ‘अभिमान’ में एस डी बर्मन ने अमिताभ बच्चन के लिए तीन गायकों से गाने गवाए। ‘मीत ना मिला रे मन का’ को किशोर कुमार ने, तो 'तेरी बिंदिया रे' को मोहम्मद रफी ने और ‘लूटे कोई मन का नगर’ मनहर उधास ने गाया।
हालांकि, मनहर उधास को यह गाना मुकेश की वजह से मिला। दरअसल, यह गाना मुकेश को गाना था, लेकिन गाने का स्क्रेच मनहर की आवाज में सुनने के बाद मुकेश ने फिल्म में यही गीत रखने की गुजारिश ऋषिकेश मुखर्जी से की। फिर क्या था, मुकेश ने कहा और ऋषि दा ने मान लिया। फिल्म ‘अभिमान’ के लिए एस डी बर्मन को बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला।
अनुराधा पौडवाल का डेब्यू
इस फिल्म से गायिका अनुराधा पौडवाल ने अपना डेब्यू किया था। फिल्म में जया भादुड़ी जो शिव आराधना गाती हैं। वहां आवाज़ अनुराधा पौडवाल का है। उनकी यह पहली फिल्म बतौर प्लबैक सिंगर मानी जाती है। दरअसल, अनुराधा के पति अरुण पौडवाल तब एस डी बर्मन के साथ काम किया करते थे।
टिप्पणियाँ