विवेक अग्नहोत्री की अगली किताब है 'हू किल्ड शास्त्री: द ताशकंद फाइल्स'
फिल्ममेकर-राइटर विवेक अग्निहोत्री की अगली किताब 'हू किल्ड शास्त्री: द ताशकंद फाइल्स' जल्दी ही पाठकों तक पहुंचने वाली है। विवेक की इस किताब में भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में रहस्यमय मृत्यु से जुड़े तथ्य पढ़ने को मिलेंगे। उनकी किताब 28 अगस्त तक स्टैंड्स में आ जाएगी। इससे पहले उनकी किताब 'अर्बन नक्सल्स: द मेकिंग ऑफ बुद्धा इन ट्रैफिक जाम' आ चुकी है।
फिल्ममेकर-राइटर विवेक अग्नहोत्री अपनी अगली किताब लेकर हाजिर हैं। उनकी पिछली किताब 'अर्बन नक्सल्स: द मेकिंग ऑफ बुद्धा इन ट्रैफिक जाम' को पाठकों ने काफी सराहा था। इस बार वो 'हू किल्ड शास्त्री: द ताशकंद फाइल्स' नाम की किताब के साथ पाठकों के बीच हाजिर हो रहे हैं।
विवेक अग्रिहोत्री उन फिल्ममेकर्स में से हैं, जो अपने बेबाक रवैये के लिए जाने जाते हैं। 'चॉकलेट', 'द ताशकंद फाइल्स', 'बुद्धा इन ट्रैफिक जान' और 'गो धन धना धन गोल' सरीखी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं।
अब विवेक अग्निहोत्री अपनी किताब में भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मृत्यु को लेकर जानकारी साझा करने वाले हैं।
इस बारे में वो कहते हैं, 'स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत की जांच करने वाली पहली किताब है, सभी संभावित कोणों से।'
विवेक अग्निहोत्री ने बताया, 'चार साल पहले मुझे पता चला कि लोकतंत्र में एक नागरिक के पहले मौलिक अधिकार को सच्चाई का अधिकार होना चाहिए, लेकिन यदि हम अपने दूसरे प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में रहस्यमय मौत की सच्चाई नहीं जानते, तो यह कैसे संभव है?...यही कारण है कि यह यात्रा कई आरटीआईएस भरने और सभी संभावित स्रोतों से संघर्ष करने के बाद शुरू होती है। हमने सच्चाई का पता करने का फैसला किया और शास्त्री जी की मौत के पीछे और इस यात्रा में सच्चाई का पता लगाया। मैंने साल 1962 में आपातकाल की स्थिति में चीन द्वारा अपमानजनक हार के बीच भारत की तालमेल की राजनीति को फिर से खोजा। भारत को कैसे बेचा गया और मैंने निष्कर्ष निकाला कि जिसने भी शास्त्री को मारा। वही लोग हैं, जिन्होंने भारत को बेचा। यह पुस्तक राजनीति में मेरी आध्यात्मिक यात्रा है और बहुत दृढ़ता से बताती है कि राजनीति में आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्यों की अनुपस्थिति है और कैसे पीढ़ी दर पीढ़ी भारत को पीड़ित किया है। यह किताब नई पीढ़ी के लिए भी एक चेतावनी है कि उन्हें नैतिक राजनीति में क्यों लड़ना चाहिए और हमेशा खड़े रहकर अपनी सच्चाई के लिए लड़ना चाहिए।'
विवेक की हमेशा से लेखन में रुचि रही है, उन्होंने अपनी निर्देशकीय परियोजनाओं को भी लिखा है। फिल्म निर्माता ने प्री-ऑर्डर के लिए पुस्तक को ऑनलाइन भी उपलब्ध कराया है। उन्होंने प्री-ऑर्डर के लिए और प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए पुस्तक का कवर सोशल मीडिया पर जारी किया है। पुस्तक 28 अगस्त को स्टैंड्स में आ जाएगी।
विवेक के वर्कफ्रंट की बात करें, तो फिलहाल वो अपने नए प्रोजेक्ट्स में जुट चुके हैं। उनकी अगली फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' है।
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