इंडियन 'एल्विस प्रिसले' शम्मी कपूर लगातार कई फ्लॉप देने के बाद भी बने सुपरस्टार
शम्मी कपूर हिन्दी सिने जगत को वो नाम हैं, जिनके जिक्र के बिना फिल्म इंडस्ट्री का परिचय अधूरा है। अलग अंदाज़ से गर्दन को झटक के उनके डांस मूव्स की वजह से ही उन्हें इंडियन 'एल्विस प्रिसले' कहा जाने लगा था। पृथ्वीराज कपूर के बेटे और राज कपूर के भाई शम्मी कपूर से अलग उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई। आज उनकी पुण्यतिथि है।
शम्मी कपूर की एक्टिंग स्टाइल इतनी यूनिक थी कि उसके लिए मोहम्मद रफी को अपनी सिंगिंग टेक्नीक तक बदलनी पड़ी। करियर की शुरुआत में एक के बाद एक कई फ्लॉप फिल्मों से शम्मी कपूर का सामना हुआ, लेकिन हिम्मत नहीं हारे और आखिरकार नासिर हुसैन का साथ मिला और उनके खाते में भी एक हिट फिल्मों ने दस्तक दी।
राज कपूर की वजह से छोड़ा स्कूल
दो क़िस्से मशहूर है। पहला तो यह है कि राज कपू को पृथ्वी थिएटर के नाटक 'शकुंतला' में भरत की भूमिका मिली थी, जिसके रिहर्सल के लिए स्कूल से छुट्टी नहीं मिली। लिहाजा अपनी प्रिसिंपल से लड़कर राज कपूर ने स्कूल छोड़ दिया। राज और शम्मी एक ही स्कूल में पढ़ा करते थे। ऐसे में राज के साथ शम्मी को भी स्कूल छोड़ना पड़ा।
दूसरा क़िस्सा यह है कि पृथ्वी थिएटर में जब भी किसी चाइल्ड एक्टर की जरूरत होती, तो पिता पृथ्वीराज कपूर उन्हें साथ लिए जाते, लेकिन जब शम्मी सुबह स्कूल पहुंचते, तो उनकी आंखें लाल होतीं और वो क्लास में ही झपकी लेते नज़र आते। टीचर ने शम्मी से कहा, ‘कल पापा को लेकर स्कूल आओ’। पापा बिजी रहते थे, तो शम्मी के बड़े भाई राज कपूर स्कूल पहुंचे। टीचर से मिलने गए, तो टीचर ने एक्टिंग और थिएटर को बुरा-भला कहना शुरू कर दिया। राज कपूर ने कहा कि जिस स्कूल में कला की इज़्ज़त नहीं, वहां उनका भाई नहीं पढ़ेगा। उसके बाद शम्मी कपूर का एडमिशन दूसरे स्कूल में करवाया गया।
कॉलेज भी छोड़ आए
स्कूल ही नहीं कॉलेज भी शम्मी ने छोड़ दिया। मामला यह है कि एक दिन शम्मी ने घर ने आकर पिता पृथ्वीराज कपूर से कहा कि उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता। पिता जी ने भी तुरंत शम्मी से कह दिया कि कोई नहीं पुत्तर कल से थियेटर जॉइन कर लो। बता दें कि थियेटर में काम करने की उन्हें 50 रुपये पगार मिलती थी।
शम्मी ने एक मजदूर की तरह पापा के थियेटर में काम किया था और उनके पिता ने भी कभी उन्हें स्टारकिड वाली लॉन्चिग नहीं दी थी, क्योंकि शम्मी का फिल्मी करियर बतौर बाल कलाकार शुरू हुआ था और इस दौरान उन्हें महीने के केवल 150 रुपये ही मिलते थे। शम्मी की कई लड़कियां दोस्त थीं और इस बारे में उनके घरवाले भी अच्छी तरह जानते थे। एक समय था जब उन्होंने विदेश की एक बैली डांसर को डेट किया था, लेकिन थोड़े समय बाद ही दोनों का ब्रेकअप हो गया।
शम्मी की चाइल्डहुड गर्लफ्रेंड थीं नूतन
दिग्गज अभिनेत्री नूतन उनकी चाइल्डहुड गर्लफ्रेंड थीं। दोनों ने साल 1953 में आई फिल्म 'लैला मजनूं' में एक साथ काम किया था। शम्मी 6 और नूतन 3 साल की थी तब से ये दोनों दोस्त थे। शम्मी को हिंदी गानों के मुकाबले पहाड़ी गाने ज्यादा पसंद थे इसलिए वह खाली समय में पहाड़ी गाने गुनगुनाया करते थे। फिल्म राजकुमार की शूटिंग के दौरान हाथी ने उनका पैर तोड़ दिया था। दरअसल, वह हाथी के ऊपर बैठकर शूट कर रहे थे। ऐसे में अचानक ऐसा हादसा हुआ और उनको चोट पहुंची।
इस बारे में शम्मी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि वो हाथी की गर्दन पर पैर रखकर खड़े शूटिंग कर रहे थे। ठीक उसी समय हाथी ने अपनी गर्दन घुमाना-उठाना शुरू कर दिया। उसकी चपेट में शम्मी का पांव आ गया और उसने उसे तोड़-मरोड़ दिया। देखने वाले बताते हैं कि शम्मी के पैर से तड़-तड़ की आवाज़ आ रही थी. इसके बाद शम्मी को कई महीनों तक फिल्मों और शूटिंग से दूर रहना पड़ा।
लिपस्टिक से मांग भर रचाई शादी
शम्मी कपूर ने अपने सिने करियर की शुरुआत कर तो ली थी, लेकिन उनकी फिल्में चल नहीं रही थीं। उनके हिस्से में लगातार 25 फ्लॉप फिल्मों का रिकॉर्ड है। साल 1956 में फिल्म ‘रंगीन रातें’ की शूटिंग के दौरान वो गीता बाली से मिले। गीता उस फिल्म में कैमियो कर रही थीं। गीता उस समय में शम्मी से बड़ी स्टार थीं। शम्मी को गीता से प्यार हो गया। चार महीने तक दोनों रिलेशनशिप में रहे, लेकिन शम्मी जैसे ही शादी की बात छेड़ते, गीता मना कर देतीं।
ऐसे ही एक बार शम्मी गीता से शादी की बात कर रहे थे। आधी रात का समय था। गीता ने ‘हां’ कर दी, लेकिन शर्त रख दी कि शादी होगी, तो अभी होगी वरना नहीं होगी। शम्मी चौंके, लेकिन शादी तो करनी थी। फटाफट मंदिर पहुंचे, पंडित को बुलाया गया। बाकी सब तो हो गया, लेकिन सिंदूर नहीं था। ऐसे में गीता ने अपनी लिपस्टिक निकाली और शम्मी से उससे उनकी मांग भरने को कहा। शम्मी ने भी आव देखा न ताव, लिपस्टिक से ही मांग भर दी। गीता से शादी के बाद शम्मी ने कहा था, ‘पहले तो मैं सिर्फ पृथ्वीराज कपूर का बेटा और राज कपूर का भाई था, लेकिन अब तो मैं गीता बाली का पति भी हूं।’
शादी के बाद चमकी किस्मत
शम्मी कपूर के करियर की नाव के खेवनहार बने फिल्ममेकर नासिर हुसैन। नासिर हुसैन की शम्मी को अपनी फिल्म में लेने की कोई इच्छा नहीं थी, लेकिन सशधर मुखर्जी के कहने पर उन्होंने शम्मी को लेकर एक फिल्म बनाई। फिल्म थी ‘तुमसा नहीं देखा’। इस फिल्म ने न सिर्फ ताबड़तोड़ कमाई की, बल्कि शम्मी कपूर को स्टार बना दिया। उसके बाद शम्मी ने नासिर हुसैन के साथ कई फिल्में कीं और सब सुपरहिट रहीं।
साल 1957 से 1971 तक उन्होंने ढेरों हिट फिल्में दीं, जिनमे ‘तुमसा नहीं देखा’, ‘दिल देके देखो’, ‘जंगली’, ‘उजाला’, ‘चाइना गेट’, ‘ब्लफ़मास्टर’, ‘कश्मीर की कली’, ‘जानवर’, ‘ब्रह्मचारी’, ‘तुमसे अच्छा कौन है’ और ‘ऐन इवनिंग इन पेरिस’ आदि खास हैं। साल1971 में आई उनकी फिल्म ‘अंदाज़’ लीड रोल में उनकी आखिरी फ़िल्म थी। उसके बाद उन्होंने फिल्मों में कैरेक्टर रोल्स करने शुरू किए। आख़िरी बार वो अपने पोते रणबीर कपूर की फिल्म ‘रॉकस्टार’ में शहनाई वादक के किरदार में नज़र आए थे।
इंटरनेट में थे पारंगत
जब भारत में इंटरनेट नया-नया आया था, तब तक शम्मी कपूर एक तरह से फिल्मों से रिटायर हो चुके थे। ऐसे में उन्होंने अपने खाली समय में इंटरनेट की बारीकियां सीखीं। इसकी वजह से उन्हें इंटरनेट की अच्छी जानकारी हो गई थी। वो इंटरनेट यूजर्स कम्युनिटी ऑफ इंडिया के फाउंडर और चेयरमैन थे। वो अपने खानदान के लिए अलग से एक वेबसाइट मेन्टेन करते थे, जिसे वो समय-समय पर अपडेट करते रहते थे। उस वेबसाइट में उनके परिवार के बड़े से छोटे सब लोगों की जानकारी थी।
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