'प्यार की लुका छुपी' की 'कल्याणी दीदी' ने ऐसे सीखी कनपुरिया भाषा

धारावाहिक 'प्यार की लुका छुपी' में 'कल्याणी दीदी' के किरदार में नज़र आने वाली शीतल मौलिक महाराष्ट्रियन हैं और बंगाली से शादी की है, लेकिन धारवाहिक में फर्राटे से कनपुरिया बोलती हैं। अपनी फर्राटेदार कनपुरिया भाषा पर कमांड पाने की कहानी खुद शीतल ने बयां की। 

Sheetal Maulik as Kalyani Didi in 'Pyar ki Luka Chupi'
अपने किरदारों को जीवंत करने के लिए कई बार अदाकार काफी कुछ सीखते हैं और अपनाते हैं। अपने इस अभिनय यात्रा के दौरान विभिन्न शैलियों, संस्कृतियों और भाषाओं का भी पता लगाते हैं। ये सभी प्रयास यह सुनिश्चित करने के लिए किए जाते हैं कि चरित्र दर्शकों के लिए पर्याप्त रूप से आश्वस्त हो। 

यह केवल समर्पण, अनुसंधान, अभ्यास और तैयारी के माध्यम से संभव है। यह एक आसान काम नहीं है और अभिनेता इस प्रक्रिया में बहुत सारी चुनौतियों का सामना करते हैं। 

ऐसा ही एक परिस्थिति का सामना अभिनेत्री शीतल मौलिक को भी करना पड़ा। दरअसल, शीतल एक महाराष्ट्रियन हैं, जिसने बंगाली से शादी की है। वहीं धारावाहिक 'प्यार की लुका छुपी' में वो एक कनपुरिया महिला 'कल्याणी दीदी' की भूमिका निभा रही हैं। ऐसे में इस किरदार को अच्छी तरह से पर्दे पर उतारने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ी। खासतौर से भाषा के फ्रंट पर। 

वहीं जब उनसे पूछा गया कि कानपुरिया भाषा उन्होंने कैसे सीखा, तो शीतल मौलिक ने कहा, 'मेरे लिए भाषा एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन जब निर्माता के साथ मेरी पहली मुलाकात हुई, तो उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे किसी भी चीज़ के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। यदि कोई समस्या होती है, तो वह इसका ध्यान रखेगी। केवल उसने मुझसे कहा था कि मुझे अपना 100 प्रतिशत देना चाहिए और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए। मैंने सोचा कि यदि कोई निर्माता मुझ पर इतना भरोसा कर रहा है, तो मुझे अपनी तरफ से सभी प्रयासों को सुनिश्चित करना चाहिए। शो की तैयारी करने और उच्चारण को सीखने के लिए, मैंने बहुत से लखनऊ के धारावाहिकों को देखा और जाना कि लोग कैसे बोलते हैं। टीम ने संदर्भ के रूप में कई लिंक और वीडियो भी भेजे। 3-4 दिनों के लिए मैंने क्लिप सुनी और भाषा को सीखने की कोशिश की और आखिरकार ईश्वर की कृपा से और सभी के सहयोग से, मैं उच्चारण को चुनने में कामयाब रही।'

सही कहा जाता है कि अभ्यास से आप अपने हुनर को मांज लेते हैं और शीतल मौलिक ने यह साबित भी कर दिया। तभी तो 'कल्याणी दीदी' के लहजे के सभी मुरीद हैं।

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