देव आनंद के 'गुड लुक्स' ने दिलवाई पहली फिल्म
देव आनंद, हिन्दी सिने जगत का वो सितारा जिसकी खूबसूरती और मुस्कान के लोग आज भी कायल हैं। वह सितारा जो दस साल तक भारत का सबसे महंगा सुपरस्टार रहा है, जिसके प्रेम में अभिनेत्री सुरैया आजीवन कुंवारी रहीं। देव आनंद वही सितारे हैं, जिनसे काले कपड़े न पहनने की दरख्वास्त की गई। इनके अभिनय के जितने कद्रदान हैं, उतने ही इनके गुड लुक्स और स्माइल के दीवाने। फिर चलिए, जानते हैं इनके सालगिरह पर इनसे जुड़े कुछ दिलचस्प क़िस्से...
आज 'सदाबहार देव' का जन्मदिन है। 26 सितम्बर,1923 को पंजाब के गुरदासपुर में एक वकील के घर जन्में देव आनंद का पूरा नाम धरम देवदत्त पिशोरीमल आनंद था। अपने 65 साल लंबे सिनेमाई करियर में उन्होंने तकरीबन 114 फिल्में की, जिनमें अधिकतर में वो बतौर लीड हीरो नज़र आए। लगातार दस साल तक भारत के सबसे महंगे हीरो रहने वाले देव आनंद ने जनहित में काले कपड़े पहनना बंद कर दिया था।
अब वकील के घर जन्में देव आनंद पढ़ाई में अच्छे-खासे थे। इंग्लिश लिटरेचर से ग्रेजुएशन करने के बाद वो बंबई आ गए। यहां उनके भाई चेतन आनंद रहा करते थे और देव आनंद ने सोचा पढ़ाई हो गई, तो काम की तलाश तेज की जाए। यहां उन्हें एक फर्म में 60 रुपए पर बतौर क्लर्क काम करने लगे। साथ ही बड़े भाई चेतन के साथ ही इप्टा से भी जुड़ गए। इस दौरान थोड़ा नाटक-ड्रामा समझा। हालांकि, फिल्मों में करियर बनाने का फैसला अशोक कुमार की फिल्म ‘अछूत कन्या’ और ‘किस्मत’ देखकर किया।
फिल्मों में काम करना है, तो फिर उस दिशा में हाथ-पांव मारना होगा, लिहाजा एक दिन अचानक ही प्रभात फिल्म स्टूडियो में धड़धड़ाते हुए घुस गए, जिसे आज कर गेटक्रश करना कहते हैं। ख़ैर, प्रभात फिल्म्स में जाते ही उनकी मुलाकात बाबूराव पई से हुई, जो प्रभात फिल्म से जुड़े थे और पेशे से डिस्ट्रीब्यूटर थे। बाबू राव पई उस वक्त फिल्म की प्लानिंग कर रहे थे, सामने देव आनंद को देखर वो चौंक गए।
बाबूराव पई चौंके नहीं, दरअसल, वो इंप्रेस हो गए। देव आनंद की गुडलुक्स और स्माइल वो इस कदर फिदा हुए कि अगली फिल्म 'हम एक हैं' में देव आनंद को ब्रेक दे दिया। मामला तो यह रहा कि देव आनंद को अपनी पहली फिल्म के लिए ऑडिशन तक नहीं देना पड़ा।
पहली फिल्म मिली और शूटिंग शुरू हो गई, लेकिन इसी फिल्म के दौरान देव को अपना जिगरी दोस्त मिला, नाम था गुरुदत्त। इसी फिल्म की मेकिंग के दौरान गुरुदत्त और देव आनंद ने एक डील भी कर ली थी। वह डील यह थी कि यदि दोनों में से कोई एक सफल हुआ, तो दूसरे की मदद करेगा। मतलब बात यह हुई कि यदि देव आनंद कोई फिल्म प्रोड्यूस करेंगे, तो उसे गुरुदत्त डायरेक्ट करेंगे और यदि गुरुदत्त कोई फिल्म डायरेक्ट करते हैं, तो उसमें देव लीड एक्टर होंगे। किस्मत से दोनों को कुछ नहीं करना पड़ा, क्योंकि दोनों ही अपनी-अपनी फील्ड में खासे सफल हो गए।
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