आशालता वाबगांवकर का निधन, हुई थीं कोरोना संक्रमित
आशालता वाबगांवकर का निधन हो गया। कई फिल्मों और धारावाहिकों में नज़र आ चुकीं आशालता गायिका, नाटककार के रूप में मशहूर थीं। 31 मई 1941 को गोवा में पैदा हुई थी। 83 वर्ष की आयु में 22 सितंबर को उन्होंने सतारा में आखिरी सांस ली।
मराठी और हिंदी फिल्मों और धारावाहिकों में नज़र आ चुकी अभिनेत्री आशालता वाबगांवकर का मंगलवार को 83 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें कोरोना संक्रमण के बाद से महाराष्ट्र के सातारा में एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। मंगलवार सुबह करीब 4.45 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली।
आशालता के परिवार के मुताबिक वे सातारा में अपने मराठी सीरियल 'आई कलुबाई' की शूटिंग करने पहुंची थीं। यहां कोरोना के लक्षण पाए जाने के बाद उनका टेस्ट करवाया गया। संक्रमण की पुष्टि और सांस लेने में दिक्कत के बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती करवाया गया था, जहां पर मंगलवार के तड़के उन्होंने अपनी अंतिम सांस। वहीं कोरोना की वजह से आशालता का अंतिम संस्कार सतारा में ही किया जाएगा।
आशालता का जीवन परिचय
31 मई, 1941 को गोवा में पैदा हुईं आशालता एक मराठी गायिका, नाटककार और फिल्म अभिनेत्री के रूप में विख्यात थीं। उनकी स्कूलिंग मुंबई के सेंट कोलंबो हाई स्कूल, गिरगांव में हुई थी। 12वीं के बाद कुछ समय तक उन्होंने मंत्रालय में पार्ट टाइम काम भी किया। इसी दौरान उन्होंने आर्ट में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी। उन्होंने नाथीबाई दामोदर ठाकरे महिला विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में एमए किया था। इसके अलावा उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो के मुंबई केंद्र पर कुछ कोंकणी गाने भी गाए।
आशालता का करियर
आशालता ने तकरीबन 100 से अधिक हिन्दी और मराठी फिल्मों में काम किया। बॉलीवुड में पहली बार वे बासु चटर्जी की फिल्म 'अपने पराए' में नजर आईं। इसके लिए उन्हें 'बंगाल क्रिटिक्स अवार्ड' और बेस्ट सह कलाकार का फिल्मफेयर मिला। फिल्म 'जंजीर' में उन्होंने अमिताभ बच्चन की सौतेली मां का किरदार निभाया था। आशालता ने 'अंकुश', 'अपने पराए', 'आहिस्ता आहिस्ता', 'शौकीन', 'वो सात दिन', 'नमक हलाल' और 'यादों की कसम' समेत कई फिल्मों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
आशालता नाट्य जगत में मशहूर नाम
'द गोवा हिंदू एसोसिएशन' द्वारा प्रस्तुत नाटक 'संगीत सेनशैकोलोल' में रेवती की भूमिका में आशालता ने अपनी नाटकीय करियर की शुरुआत की। मराठी नाटक 'मत्स्यगंधा' आशालता के अभिनय करियर में एक मील का पत्थर साबित हुआ। इसमें उन्होंने 'गार्द सबभोति चली सजनी तू तर चफकली', 'अर्थशुन्य बोसे मझला कला जीवन' गीत भी गाया था।
संबंधित ख़बरें➤हिमानी शिवपुरी हुई कोविड-19 की शिकार
टिप्पणियाँ