वैक्सीन को लेकर चेतन भगत से भिड़ीं कंगना रनौत
कंगना रनौत के गुस्से का सामना चेतन भगत को करना पड़ा। दरअसल, भारत में हो रही वैक्सीन की कमी को लेकर चेतन भगत ने सवाल उठाया। वहीं कंगना ने चेतन को खूब खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि वो भारत से नफरत करना बंद कर दें। कंगना के इस हमले के जवाब में चेतन भी चुप नहीं बैठे एक के बाद एक कई ट्वीट्स किए।
देश में कोरोना वायरस की लहर ने तबाही मचा रखी है। कोरोना वायरस से संक्रमितों मरीज़ों की संख्या के चलते अस्पतालों में बेड, दवा आदि की किल्लत की ख़बरें आ रही हैं। वहीं सोशल मीडिया लोग एक-दूसरे से मदद की गुहार कर रहे हैं।
कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस स्थिति के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं कंगना रनौत महामारी में सरकार द्वारा किए प्रयासों की सराहना कर रही हैं। इस दौरान वो कई लोगों से सोशल मीडिया पर सीधे भिड़ भी जा रही हैं।
इस कड़ी में कंगना के निशाने पर राइटर चेतन भगत आ गए हैं। चेतन भगत के एक ट्वीट में कंगना ने उन्हें भारत से नफरत न करने की अपील के साथ उन्हें पेस्ट यानी परजीवी ना बनने की नसीहत दे डाली।
मामला यह है कि 28 अप्रैल से कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन के अगले चरण के लिए रजिस्ट्रेशन खुले हैं। इसके तहत पहली मई से सभी ऐसे लोगों का वैक्सीनेशन किया जाएगा, जिनकी उम्र 18 से 45 साल के बीच है। लेखक चेतन भगत ने अपने ट्वीट के जरिये फाइज़र और मॉडर्ना की वैक्सीन का इस्तेमाल ना करने पर सवाल उठाया।
चेतन ने लिखा, 'फाइज़र और मॉडर्ना सबसे अच्छी वैक्सीन हैं। वो बाजार में दिसम्बर 2020 से उपलब्ध हैं। ये अभी तक भारत में क्यों नहीं हैं? क्या हम बेस्ट के लायक नहीं हैं? क्या हम रक्षा उपकरण विदेशों से नहीं खरीदते? क्या यह युद्ध जैसे हालात नहीं हैं? वैक्सीन सिर्फ यहीं क्यों बनायी जा रही है?
इस पर कंगना ने जवाब देते हुए लिखा, 'मेरे ऐसे दोस्त हैं, जिन्होंने फाइज़र की वैक्सीन ली और बुखार, शरीर के दर्द से पीड़ित रहे। आप लोग भारत/भारतीयों से नफ़रत करना बंद करोगे? पूरी दुनिया में हमारी अपनी वैक्सीन की मांग है और अब आत्म-निर्भर भारत बनने का मतलब है अर्थ व्यवस्था को तेज़ी देना। परजीवी बनना बंद कीजिए।'
कंगना की इन बातों का जवाब देते हुए चेतन भगत ने कई ट्वीट्स किए। एक में उन्होंने लिखा, 'मुझे पता है कि ट्विटर यूज करने के लिए दिमाग की जरूरत नहीं, लेकिन समझने की कोशिश कीजिए। हमें जल्दी से कई सारी वैक्सीन्स चाहिए। भारत में वैक्सीन हैं, लेकिन पर्याप्त संख्या में नहीं हैं। इस वजह से हमें दूसरी गैर-भारतीय वैक्सीन्स की भी जरूरत है। वैक्सीन के मामले में कम से कम 'हम बनाम वो' करना बंद कीजिए। लोग मर रहे हैं।'
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