The Big Bull Review: अभिषेक के अभिनय का जबरदस्त 'बुली' अंदाज़
अभिषेक बच्चन स्टारर फिल्म 'द बिग बुल' डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज़ हुई है। फिल्म हर्षद मेहता की कहानी से प्रेरित बताई गई है। हालांकि, हर्षद मेहता की कहानी पर 'स्कैम 1992' नाम की वेब सीरीज़ आई थी। अजय देवगन और कुमार मंगत के प्रोडक्शन में बनी और कूकी गुलाटी के निर्देशन में तैयार यह फिल्म दर्शकों की कसौटी पर कितनी खरी उतरती है। आइए जानते हैं।
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कूकी गुलाटी के निर्देशन में बनी अभिषेक बच्चन स्टारर फिल्म 'द बिग बुल' डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज़ हो गई है। अरसे से स्क्रीन से गायब अभिषेक ने 'मनमर्जियां' से वापसी की और अब उनके पास कई फिल्में हैं। इन्हीं में से एक 'द बिग बुल' भी है। थिएटर में रिलीज़ की राह तकती यह फिल्म आखिरकार ओटीटी पर रिलीज़ कर दी गई। चलिए देखते हैं, क्या कुछ खास है फिल्म में।
कहानी
फिल्म की कहानी शुरू होती है साल 2020 से, जहां पर जानी-मानी पत्रकार मीरा राव (इलियाना डिक्रूज) अपनी एक किताब का अनावरण कर रही हैं। यह किताब उन्होंने हेमंत शाह (अभिषेक बच्चन) पर लिखी है, जो अपने परिवार के साथ मुंबई के एक चॉल में रहता है, लेकिन उसके सपने बहुत बड़े हैं। वह एक लड़की से वह प्यार करता है, लेकिन उसके पिता कई तरह की शर्त उसके सामने रख देते हैं। सपने और प्यार को पाने के इस सफर में वो शेयर मार्केट पहुंच जाता है। शेयर मार्केट की उस टिप की मदद से उसे बड़ा मुनाफा होता है। धीरे-धीरे हेमंत शेयर मार्केट की तरफ बढ़ने लगता है।
बाद में वह अपने भाई वीरेन शाह (सोहम शाह) के साथ मिलकर शेयर मार्केट में काम करने लगता है। आगे चलकर उसे शेयर मार्केट का 'बिग बुल' कहा जाने लगता है। वक्त बीतते जाता है और वह कुछ और आगे बढ़ता है और वो मनी मार्केट यानी की निजी- सरकारी बैंकों से लेन- देन के खेल में शामिल हो जाता है। इसके साथ ही वह राजनेताओं के भी करीब होने लगता है। इसी बीच फायनेंशियल जर्नलिस्ट मीरा देव, हेमंत शाह द्वारा बैंकों के साथ किये गए हेर- फेर का सनसनीखेज़ खुलासा करती है, जो तकरीबन 5 हजार करोड़ तक का होता है। इसके बाद हेमंत को जेल तक जाना पड़ता है। आखिर में हेमंत के साथ वही होता है, जो हर्षद के साथ हुआ था, यह अंदाज़ा लगाने से बेहतर है फिल्म देख ली जाए।
समीक्षा
एक मध्यमवर्गीय परिवार के लड़के के ऊंचे सपनों की दास्तां को खूबसूरती से दिखाने की कोशिश कुछ हद तक सफल है, लेकिन पूरी तरह से नहीं। कई बातें दिखाने के चक्कर में कुछ चीजों को इस रफ्तार से दिखाया कि वो समझ से परे रहीं। निर्देशन के साथ पटकथा में भी कुछ कमी सी लगती है। खै़र, फिल्म देखते हुए लगता है कि अभिषेक के लिए बनाई गई फिल्म है और अभिषेक ने पूरी तरह से फिल्म को अपने कंधों पर उठा रखा है।
अभिनय की बात करें, तो कास्टिंग जल्दीबाजी में की गई सी लगती है। हालांकि, फिल्म के लिए सबसे अच्छा चुनाव अभिषेक बच्चन ही लगते हैं। उन्होंने पर्दे पर हेमंत को जीवंत किया है। सोहम शाह भी अपनी भूमिका के साथ न्याय कर गए हैं। सुप्रिया पाठक को आप पसंद करेंगे। वहीं पत्नी बनीं निकिता दत्ता और पत्रकार बनी इलियाना डिक्रूज उतना प्रभावित नहीं कर पाती हैं। सौरभ शुक्ला, महेश मांजरेकर भी अपने-अपने किरदारों के लिए सही चुनाव नहीं लगते हैं।
ख़ास बात
'स्कैम 1992' से 'द बिग बुल' की तुलना न करना ही बेहतर है। एक फिल्म है, तो दूजी वेब सीरीज़। हां, यदि 'स्कैम 1992' के लिए प्रतीक गांधी को तालियां मिली हैं, तो 'द बिग बुल' के लिए अभिषेक बच्चन भी तालियों की उसी गड़गड़ाहट के हकदार हैं।
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